
उद्धव ठाकरे से नजदीकियों की चर्चा के बीच विदेश गए राज ठाकरे, पार्टी नेताओं को दी ये सख्त हिदायत
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे विदेश दौरे चले गए हैं. इस बीच उन्होंने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से संवेदनशील मसलों पर बोलने से मना किया है. राज ठाकरे ने कहा है कि संवेदनशील मुद्दों पर कोई भी 29 अप्रैल तक ना बोलें. उन्होंने कहा कि मैं लौटने के बाद खुद बात करूंगा.
गौरतलब है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के एक साथ आने की चर्चा जोरों पर है. दोनों पक्षों से सकारात्मक बयान सामने आ रहे हैं लेकिन राज ठाकरे ने खुलकर पत्ते नहीं खोले हैं.
उद्धव और राज में सुलह की संभावना से विरोधी परेशान- सामना
उधर, शिवसेना (UBT) ने सोमवार को कहा कि अगर राज ठाकरे बीजेपी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना से दूर रहते हैं, तो पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे और MNS प्रमुख राज ठाकरे के बीच किसी मुद्दे का कोई सवाल ही नहीं उठता. शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में यह भी दावा किया गया कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सुलह की संभावना ने महाराष्ट्र विरोधियों को परेशान कर दिया है.
राज और उद्धव ठाकरे में कोई विवाद है कहां- सामना
संपादकीय में ये भी कहा गया कि राज ठाकरे मराठी लोगों की बात करते रहे हैं और शिवसेना का जन्म मराठी हित के लिए हुआ और उद्धव ठाकरे ने वह हित नहीं छोड़ा, तो कोई विवाद है कहां? मराठी दैनिक ने ये भी कहा, “बीजेपी और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए इस पर बात करने का कोई कारण नहीं था. इन लोगों ने ही तथाकथित मुद्दों को शुरू किया इसलिए बीजेपी और शिंदे गुट को अगर दूर रखा जाए, तो कोई मुद्दा नहीं रहेगा.”
‘बीजेपी की साजिश मराठी एकता को कमजोर करना’
‘सामना’ में ये भी कहा गया, ”बीजेपी और एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली शिवसेना ने राज ठाकरे के कंधों पर बंदूक रखकर शिवसेना (यूबीटी) पर निशाना साधा. इससे मनसे को कोई फायदा नहीं हुआ, बल्कि मराठी एकता को नुकसान पहुंचा.” संपादकीय में आगे आरोप लगाया गया कि बीजेपी की साजिश मराठी एकता को कमजोर करना है.